सुभासस्स जम्मं किल सुहासस्स किदे आसी* (पागदभासा-णिबद्धा विणयंजली-रयणा)

 *सुभासस्स जम्मं किल सुहासस्स किदे आसी*

(पागदभासा-णिबद्धा विणयंजली-रयणा)

✍🏻 *-सुदीव-कुमार-जेण्हो,* आयरिय, पागदभासा-विभागे सिरी लालबहादुरसत्थी-रट्ठिय-संकिद-विस्सविज्जालये, णवदेहलिम्मि
{ प्रो. सुदीप कुमार जैन, नई दिल्ली}

[नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पावन-जन्मदिवस पर कृतज्ञ विनयांजलि]

*भरहस्स सातंतसंगामे,*
      *जस्सासी महदी भूमिगा।*
*राजणीदी ण किदा तेण,*
        *तहवि 'णेदाजी' विस्सुदा।।1।।*
(भारत के स्वतंत्रता संग्राम में,
      जिनकी महती भूमिका हुई थी।
राजनीति तो उन्होंने नहीं की थी,
    फिर भी 'नेताजी' नाम से विश्रुत हुये।।1।।)

*सुभासस्स जम्मं तु किल,*
        *बंगप्पदेसे हि एत्थ संभूदं।*
*तहवि संपुण्ण-भरहस्स ते,*
      *जण-णायगत्तणं खु संपत्ता।।2।।*
(सुभाष जी का जन्म वास्तव में,
        बंगालप्रदेश में यहाँ था हुआ।
फिर भी सम्पूर्ण भारतवर्ष के वे,
      जन-नायकपने को प्राप्त थे।। 2।।

*'आजाद-हिंद-सेणा' तेण,*
      *साहीणस्स किदे संगठिदा।*
*विस्स-ब्भमणं किच्चा तेण,*
    *सेणस्स संसाहणा संसाहिदा।।3।।*
('आजाद-हिंद-फौज' का उन्होंने,
      स्वाधीनता के लिये संगठन किया।
सम्पूर्ण विश्व-भ्रमण करके उन्होंने,
    सैन्य-संसाधनों को संसाधित किया।।3।।)

*"तुमं मम रत्तं देदु,"-तह य,*
      *अहं दास्सामि पुण सातंतं।"*
*त्ति आहाणं भरहे सुभासेण,*
  *सातंतस्स किदे किदा एत्थ।।4।।*
(" तुम मुझे खून दो" और फिर,
      "मैं तुम्हें आजादी दूँगा" सचमुच।
ऐसा आह्वान भारत में सुभाष ने,
          स्वातन्त्रय के लिये किया था यहाँ।।4।।)

*बम्म-देसे य सेण्ण-संघडणं,*
      *बंगप्पदेसे य किदं तेण संगामं।*
*मिदेव्व जणमाणसे तदा तेण,*
        *मिद-संजीवणी मिव संवाहिदा।।5।।*
(बर्मा-देश में सैन्य-संघटन किया,
      बंगाल में उन्होंने संग्राम किया।
मृतप्रायः जनमानस में तब उन्होंने,
    'मृत-संजीवनी' जैसे संप्रवाहित की।।5।।)

*अणेण सूराणं बाहुभागेसु तेणं,*
      *रत्त-संचारं णं पुण णवीकिदं।।*
*गामे-गामे णयरे-णयरे हि तेण,*
    *सातंतस्स जोदि णं पज्जालिदा।।6।।*
(इससे शूरों के बाहुभागों में उन्होंने,
      रक्तसंचार मानो पुनः नवीकृत किया।
गाँव-गाँव अरु नगर-नगर में उन्होंने,
    स्वतंत्रता की ज्योति प्रज्वलित की।।6।।)

*अहिंसगी कंती भरदवस्से खु,*
      *महप्पेण गंधिणा सुपवट्टिदा।*
*मादु-भूमिस्स हि सातंतत्थं,*
  *सुभासेणेदं सुप्पओगं साहिदं।।7।।*
(अहिंसकी-क्रान्ति भारतवर्ष में,
महात्मा गाँधी ने सुप्रवर्तित की थी।
मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिये,
    सुभाष ने यह सुप्रयोग था किया।।7।।)

*सुभासस्स जम्मं तु इह किल,*     
        *भरहस्स सुहासकिदे खु आसी।*
*संपदि तेसिं हि पुण्णावदाणेण,*
      *अम्हेहिं णं साहीणदा संपत्ता।।8।।*
(सुभाष का जन्म तो यहाँ वस्तुतः,
      भारत के सुहास के लिये था हुआ।
संप्रति उनके पुण्यावदान से ही,
    हम सबने स्वाधीनता प्राप्त की।।8।।)

*णमो-णमो साहीण-साहगाणं,*
      *णमो-णमो य मादु-भूमीए।*
*णमो-णमो भरह-सोहग्गस्स,*
      *णमो-णमो य सुभासवराणं।।9।।*
(स्वाधीनता के साधकों को नमोनमः,
      मातृभूमि को भी है नमोनमः।
भारत के सौभाग्य को है नमोनमः,
      सुभाषवर्य को भी है नमोनमः।।9।।)
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